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पासी समाज पर कविता

रात-रात भर जाग कर रहा खड़ा संघ दुखियारी के, झुका नहीं हटा नहीं मर मिटा समाज के गतियारी में, रोड डेल लाख कभी समाज कभी नेता के रैली नारों ने…

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